उठो नारी उठो


उठो नारी उठो
सुनो स्त्रियों तुम्हारा सज धज कर घर मैं रहना,
या तुम्हारा रूप जगत व सुंदरता और अपने आप में बहके व व्यस्त रहना ,यह हमारे समाज के लिए बहुत बड़ा अभिशाप बनते जा रहा है।
उठो और अपनी चेतना को जगाओ और समाज में फैली बुराइयों को मिटाओ।
इतना पढ़ो और इतना ज्ञान अर्जित करो कि तुम्हें कोई भी अपने हिसाब से ना चला पाए अपनी खुद की एक पहचान बनाओ और एक जिम्मेदारी और कर्तव्य निष्ठा को सर पर उठाओ।
जिससे कोई भी  बेवकूफ ना बना सके
अपने हर रिश्ते और हर धर्म को निभाओ
मगर अपनी आत्मा और अपनी पसंद को दांव में मत लगाओ।
गलत राह मत चलो गलत तरीके से विवाह मत करो पहले अपने पैर पर खड़े हो जाओ उसके बाद फिर अपनी जिंदगी और अपने सपनों को सही दिशा में ले जाओ।
अब तुम्हारे बैठे रहने से यह समाज व परिवार और यह देश पिछड़ रहा है उठो जागृत हो जाओ और अपनी शिक्षा का उचित विस्तार कर उसे सही मार्ग पर लगाओ
फिर देखना यह समाज यह परिवार सही राह आगे मैं बढ़ेगा और आपकी नेक राह पर ही चलेगा।

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