मेरा इकरार नामा पति के साथ.......

 

में आरती सनोडिया, पिता खुर्सीराम सनोडिया, का विवाह रविशंकर उर्फ सोनी सनोडिया, पिता जगन्नाथ सनोडिया से ग्राम- पिपरिया पंचायत- , तहसील-, जिला- , मई 2010 मैं हुआ था। मेरी शादी को लगभग11 साल हो चुके हैं। शादी के कुछ दिन बाद ही मुझे यह पता चला कि यह एक नंबर के शराबी हैं। फिर भी मैं उनके साथ जीवन निर्वाह करने को तैयार हो गई। मैंने उनके साथ बड़ी कठिनाई से गांव पिपरिया में 1 साल बिताए, मेने गांव में बच्चो को कोचिंग क्लास देने लगी तो उन्होंने दारू पी कर लड़ाई की उन्होंने बहुत  प्रकार की पाबंदी मुझ पर लगाई बहुत से प्रकार के इल्जाम लगाए और मुझ पर शक भी किया और मुझपे कभी-कभी लड़ाई झगड़े में हाथ भी उठाए,फिर भी मैंने सोचा छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ न बनाकर मैंने अपने जीवन को उनके साथ बिताने की पूरी कोशिशें की, फिर में उनके साथ नागपुर में रहने चली गई वहां हम रूम से रहे। और इस तरह गांव में 1 साल और नागपुर में 4 साल कुल शादी के 5 साल हम साथ रहे।इन 5 सालो में हमारे कोई बच्चे नही हुए, और इन्होने लडाई-झगडे में कई बार मुझे बांझ भी बोला जिससे में बहुत दुखी होती रही, फिर हमने किस्त में प्लाट भरा था जो इनके टाइम पर पैसे न चुका पाने की वजह से डूब गया। जब हद से ज्यादा उनकी दारु पीने की आदत से मैं परेशान हो गई तब मैंने फरवरी 2015 में उनसे दूरी बना ली। फरवरी 2015 से जुलाई 2021 यानी कि आज तक मेरा उनसे कोई भी शारीरिक संबंध नहीं रहा है। वो अपने घर पिपरिया गांव में रहे और कमाने के लिए नागपुर में रहे हैं। और मैं यहां डूंण्डा सिवनी में अपने मायके में 5 साल अपने मां-बाप के साथ रही फिर उनसे कहा-सुनी हो गई। तो मैं अलग रहने पर मजबूर हो गई अब 1 साल से मैं मायके में अकेली रह रही हूं। मुझे किसी का कोई सपोर्ट नहीं है। न किसी से कोई मदद मिली, न सास-ससुर से, नही मेरे पति से, 6 साल से मेरी कोई खबर नहीं ली गई। न ही मुझे कोई खर्चा दिया गया। जिस वजह से मैं बहुत अकेली हो गई बहुत परेशान भी रही इस लाकडाऊन में भी मुझे बहुत दिक्कतें आई है। मै प्रायवेट जाब से अपना गुजारा चलाती रही। इन सब से परेशान होकर मै मेरे पति से तलाक लेने को तैयार हो गई। मैंने उनको तलाक के लिए बोला उन्होंने तलाक देने से मना कर दिया। और परिवार वालों के कहने पर वह समझौते के लिए तैयार हो गए हैं। और मैंने भी उन्हें जीवन निर्वाह हेतु एक और मौका देने की सोच ली है। और इस बार मैं उनसे एग्रीमेंट के तौर पर यह स्टांप और पेपर मे लिखित बातों को ध्यान मे रखते हुए एक और मौका उन्हें देना चाहती हूं। जिनमें मेरी कुछ शर्ते लिखी हुई है यह शर्तें अगर यह पूरी तरह निभाते हैं तो हमारा जीवन निर्वाह अच्छे से होगा। वरना वह मुझे तलाक दे क्योंकि मुझे उनसे इन 6  सालो मे  कोई भी मदद नहीं मिली  और अब मैं परेशानी नहीं भोगना चाहती हूं। जिस वजह से मैं यह एग्रीमेंट कर रही हूं। मेरी निम्नलिखित शर्तें इस प्रकार है।

1) मुझसे उन्होंने कहा है कि वह ₹25,000 महीना कमाते हैं। तो मैं चाहती हूं कि 5,000 वो अपना जेब खर्च महीने का ले और बाकी 20,000 पेमेंट मेरे हाथ में लाकर  दे परिवार के लिए आवश्यक सामग्री, किराना, कपडे-लत्ते एवं रुम किराया हेतु।

2) वह नशे के आदी है तो कोई ना कोई नशा वो करते ही है। मैं चाहती हूं कि वह कम से कम नशा करे या नशा करना छोड़ ही दे।

3) नशा करने के चलते उनको 6 साल पहले से टीबी की बीमारी हो चुकी है। जिनका वर्तमान में उन्होंने इलाज करवा लिया है। पता नहीं उनकी रिपोर्ट में क्या है मैंने नहीं देखा है।

4) अगर हमारे जीवन निर्वाह में मुझे उनसे किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है। या उनको मुझसे कोई दिक्कत होती है। तो हम स्वेच्छा से तलाक देने के लिए तैयार रहेंगे।

5) उन्होंने तय किया है कि वह मेरे मां के घर किराए से कुछ दिन रहेंगे फिर उसके बाद अच्छा रूम ढूंढ कर हम अपना गुजारा करेंगे। मैं चाहती हूं ये शराब पीकर किसी का लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलौज या उधार-वाडी घर नहीं लाएंगे ना ही पत्नी से गलत व्यवहार करेंगे।

6) वह पति की सारी जिम्मेदारियां निभाएंगे,रुम किराया,किराना समान और पहनने-ओढ़ने से लेकर पत्नी का हर खर्च उठाएंगे।

7) आवश्यक कार्य हेतु आने-जाने में किसी प्रकार की रोक-टोक पत्नी पर नहीं लगाएंगे। ना ही जॉब करने के लिए कोई पाबंदी लगाएंगे।

8) मेरे जीवन निर्वाह हेतु उनकी जमीन जायजाद में मेरा बराबर हक होगा।

इन पेपरों में लिखी हुई सारी बातें सही है।और हम सब इसे पढ़ कर व इससे सहमत होकर ही इन पेपरो में हस्ताक्षर कर रहे हैं जिसके साथ स्टांप पेपर भी संलग्न है। तथा यह कचहरी से नोटराईज किया गया है।

अपील कर्ता                 पति
आरती सनोडिया        रविशंकर सनोडिया        
      
                               
  गवाह हस्ताक्षर             गवाह हस्ताक्षर

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