AARTI sanodiya bhajan krishna
लिरिक्स भक्ति.....
1)कभी गोबिंद की सूरत, बसा कर मन में रखती हूं।...2
चुराए न कोईss इसको, छुपा कर मन में रखती हूं।।।।...2
छुपा कर मन में रखती हूं......
मन ही मंदिर है
मन ही देवता
मन ही मेरी पूजा...2.
एक सिवा मेरे
देख सके ना
उनकी सूरत दूजा....
लालच कर पाप कमाया पुण्य का धन क्यों खोए...
हरी की सूरत मन में बसा ली है
देख सके ना कोई....
की बोलो बोलो हरे राम हरे राम
की बोलो बोलो हरे कृष्णा हरे कृष्णा
की बोलो बोलो हरे राम हरे कृष्णा
चंचल मन मेरा
है बडा आतुर
गलती करे ss
कहलाता है चतुर
मगर पाप कमाई से
किसका पूरा होय
अंधे कुएं में नित दिन तू क्यों डुबकी लगाऐ और रोए....
हरी की मूरत दिल में बसा ली....देख न पाए कोई...
की बोलो बोलो हरे राम हरे राम
की बोलो बोलो हरे कृष्णा हरे कृष्णा
की बोलो बोलो हरे राम हरे कृष्णा
मेरा मन कहता
है हर पल
ईश्वर मन में
रहता है हर पल
झूठ फरेब की
दुनिया क्यों है
क्यों हे अंधेरा पल पल
भ्रम से निकलकर सच को देखो, सच से बड़ा ना कोई।....हरी की मूरत मन में बसा ली देख सके ना कोई ....2.
2) हे रे मनवा,मोरे मन बा....2 तू जाए किस ओर...बता दे....तू जाए किस ओर
लोक लाज और जग की मर्यादा..2
तू कर दे बेमोल ,री मनवा तू जाए किस और
धर्म भरम का राखे नही
नही चित में चोर
तू जाए किस और
तेरे लिए मेने जग छोड़ा जग छोडा
सारे बंधन तोड़ा तू मिल जाए मोह
तू जाए किस और
दुनिया की रीति नीति से..२ बंधे न खुद की छोर रि मनवा तू जाए किस ओर....
मन को समझाते हुए बरम बार ईश्वर से बिनती करते हुए की मन से सारे पाप और ग्गलतियां निकल जाए ह
मन का दर्पण बहुत उजियारा है
तूने ही मन में पाप कमा कर कालिक डाला है।
री मनवा तू जाए किस ओर
सजनवा तू जाए किस ओर....
री मनवा तू जाए किस ओर.....
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