tiger love बाघ का प्रेम
tiger love बाघ का प्रेम
भाग 2
अब आमना बघवा को किसी न किसी बहाने दूर रखती और चाहती कि वह उससे दूर ही चला जाए क्यों बेचैन होकर उसकी याद में रोता भी लगता अब वह खाना भी नहीं खाना चाहता था मगर वह भी कब तक भूखा रहता आव देखा ना ताव उसने आज खाना खा लिया और सोचा कि अब आमना उससे प्रेम नहीं करती वह रोने लगा रोते रोते ही सो गया आमना दूर से जाते हुए बघवा को देखती है और सोचती है कि इसे हो सकता है नींद में ही ले जाकर जंगल में छोड़ दिया जाए तो कैसा रहेगा मगर बेचारी यह भी सोचती कि छोटा सा बच्चा है क्योंकि उसे बघवा नहीं दिखता था उसका बचपन दिखता था अब बचपन में जिस तरह हम मासूम और भोले होते हैं उसी तरह बघवा भी मासूम और भोला है क्योंकि उसकी मां उसके साथ नहीं है अगर उसकी मां उसके साथ होती तो मुझे यह नौबत ही नहीं आती कि बघवा को घर लेकर आ जाऊ अब बघवा बड़ा हो रहा है।......................... अब एक दिन घर में बिल्ली आई तो बघवा ने बिल्ली को देखते ही उस पर धावा बोल दिया बघवा बिल्ली को दौड़ा दौड़ा कर उसे थका दिया अंत में बिल्ली थक कर बैठ गई बघवा अपने पंजे से बिजली को ऐसी चमात मारी की बिल्ली खूना- खून हो चुकी थी अब यह दृश्य देखकर आमना और डर गई कि भगवान इतनी हिम्मत कैसे आ गई कि वह अब जीव-जंतुओं पर ढ़ावा बोलने लगा है अब आमना का डर सामने दिखने लगा था।
.... आज वह फैसला कर ली कि बाबा जंगल की ओर जाएंगे और इस बघवा को वहीं छोड़ कर आ जाएंगे क्योंकि यह हमारे घर में रहने लायक नहीं है तो हम ऐसा कैसे करें कि बघवा दोबारा ना आए और हमारे जीवन से चला जाए क्योंकि मैं अपने मन को तो संभाल सकती हूं लेकिन इस बघवा के फैलते आतंक को नहीं बस, क्योंकि अब उसके पिता ने हामी भर दी और कहा अगर तूने फैसला ले ही लिया है तो अब मैं अपने दिमाग से इसे उस जंगल तक छोड़कर आऊंगा कि वहां से वह वापस नहीं आएगा और इसलिए हमें उसकी आंखें बंद करनी होगी ताकि उसे पता ही ना चले हम कौन सी दिशा से गए थे और कौन सी दिशा से चले आए हैं बघवा यह सोच रहा था कि अब मुझे नींद आ रही है और बघवा देखते-देखते सो गया अब आमना और उसके पिताजी ने यही उचित समय समझा और उसके पिता ने उसकी आंखों पर पट्टी बांधी पट्टी बांधने के बाद वह उन्हें अपनी गाड़ी पर बैठा कर जंगल की ओर ले गए जंगल की ओर ले जाने के बाद बघवा को एक नीचे खाई की तरफ छोड़ दिया गया नीचे खाई में छोड़ने के बाद वहां ऊपर आ गए ऊपर आने के बाद देखा तो वह वहीं सोया हुआ था क्योंकि वह नींद में था अब उठेगा सोकर तो पता नहीं क्या सोचेगा कहां जाएगा और क्या करेगा 6 माह बाद वह अब बड़ा हो गया है। कम से कम 1 साल का अब उसे शिकार करना भी आने लगा है क्योंकि उसने घर में ही बिल्ली और चूहा का खूब शिकार किया था जो कि उसे खाने के लिए अब कुछ ना मिला तो वह रक्त प्यास से ही अपनी भूख मिटाता है बघवा का जीवन तो जंगल में ही बीतना था वह तो उसे नियति थी जो घर तक ले गई थी आमना के दिल में पलने वाली प्रेम और ममता ने उसे घर में पनाह दी थी कुछ समय बाद वह पनाह और वह ममता समाप्त हो गई क्योंकि बघवा अब सिर्फ और सिर्फ जंगल का राजा बनने वाला था बघवा की आंख खुली बघवा नींद से जागा तो देखा चारों और हरे हरे जंगल हरे हरे पेड़ हैं और पशु पक्षी गा रहे हैं अब मैं कहां हूं उसे यह वातावरण बहुत अजीब सा लग रहा था क्योंकि वह समाज में रहता घर परिवार में रहने लगा था। तो उसे उसकी आदत थी अब उसे अचानक जंगल में लाकर छोड़ दिया गया था जंगल के पक्षियों को देखकर खुश हो रहा था लेकिन मन ही मन अफसोस कर रहा था कि मेरी आमना कहां है मेरा वह परिवार कहां है जो दो पैरों से चला करते थे यहां जानवर तो चार पैरों से चला करते हैं यहां कोई मेरे जैसा नहीं दिखता है यहां कोई मेरी बात नहीं सुनता है यहां कोई मुझे नहीं समझता है सब मुझसे डर कर भाग जाते हैं बंदर देख कर मुझे पेड़ पर चढ़ जाते हैं चिड़िया मुझे देखकर जैसे गाने लगती हैं जैसे मैं कोई हैवान हूं वहा सबके बीच में रहने की आदत थी आज मैं इन जंगलों में जानवरों के बीच आ गया हूं मगर मुझे कोई भी अपना सा नहीं लगता है पता नहीं क्यों मुझे लोगों ने क्यों अलग कर दिया मैं शायद इसी लायक हूं क्योंकि मैं बहुत ज्यादा ही उनको अपना मानता था अब समझ में नहीं आ रहा था बड़ा हो चुका था अब बड़ा होकर शेर बन चुका था इतना भयंकर विशाल बाघ की जिसकी आंखें जिसके मुंह पर लंबे-लंबे बाल जिसके शरीर में पीली और काली पट्टियां थी और जो अब इतना जवान और हष्ट पुष्ट हो चुका था कि उसकी ताकत और शक्ति का अंदाजा लगाना भी बहुत मुश्किल हो चुका था इतनी तेज दौड़ की पलक झपकते ही जानवरों का शिकार कर लेता था उसे देख कर सबके रोंगटे खड़े हो जाते थे सब थर्रा जाते थे क्योंकि वह जंगल का राजा है और अब बाघ बन चुका है ऐसा बाघ जिसकी बड़ी-बड़ी खींसे हैं जिसके बड़े-बड़े दांत हैं एक और पंजे देखो तो इतने बड़े-बड़े नाखून की खड़े से ही आदमी का चमड़ा उधेड़ दे आंखे इतनी लाली भरी काली-काली गहरी गहरी लालिमा लिए हुए कि मानो एक तक उनकी आंख में देखें तो हम वही गायब हो जाएं कान सरसराहट को भी महसूस करने वाले और शरीर इतना भारी भरकम की पल भर में कई जानवरों का शिकार कर ले अब आगे...….......आपको मेरी लिखी हुई कहानी पसंद आती है तो आप मेरा उत्साह वर्धन अवश्य करें धन्यवाद।,🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
भाग 2
.... आज वह फैसला कर ली कि बाबा जंगल की ओर जाएंगे और इस बघवा को वहीं छोड़ कर आ जाएंगे क्योंकि यह हमारे घर में रहने लायक नहीं है तो हम ऐसा कैसे करें कि बघवा दोबारा ना आए और हमारे जीवन से चला जाए क्योंकि मैं अपने मन को तो संभाल सकती हूं लेकिन इस बघवा के फैलते आतंक को नहीं बस, क्योंकि अब उसके पिता ने हामी भर दी और कहा अगर तूने फैसला ले ही लिया है तो अब मैं अपने दिमाग से इसे उस जंगल तक छोड़कर आऊंगा कि वहां से वह वापस नहीं आएगा और इसलिए हमें उसकी आंखें बंद करनी होगी ताकि उसे पता ही ना चले हम कौन सी दिशा से गए थे और कौन सी दिशा से चले आए हैं बघवा यह सोच रहा था कि अब मुझे नींद आ रही है और बघवा देखते-देखते सो गया अब आमना और उसके पिताजी ने यही उचित समय समझा और उसके पिता ने उसकी आंखों पर पट्टी बांधी पट्टी बांधने के बाद वह उन्हें अपनी गाड़ी पर बैठा कर जंगल की ओर ले गए जंगल की ओर ले जाने के बाद बघवा को एक नीचे खाई की तरफ छोड़ दिया गया नीचे खाई में छोड़ने के बाद वहां ऊपर आ गए ऊपर आने के बाद देखा तो वह वहीं सोया हुआ था क्योंकि वह नींद में था अब उठेगा सोकर तो पता नहीं क्या सोचेगा कहां जाएगा और क्या करेगा 6 माह बाद वह अब बड़ा हो गया है। कम से कम 1 साल का अब उसे शिकार करना भी आने लगा है क्योंकि उसने घर में ही बिल्ली और चूहा का खूब शिकार किया था जो कि उसे खाने के लिए अब कुछ ना मिला तो वह रक्त प्यास से ही अपनी भूख मिटाता है बघवा का जीवन तो जंगल में ही बीतना था वह तो उसे नियति थी जो घर तक ले गई थी आमना के दिल में पलने वाली प्रेम और ममता ने उसे घर में पनाह दी थी कुछ समय बाद वह पनाह और वह ममता समाप्त हो गई क्योंकि बघवा अब सिर्फ और सिर्फ जंगल का राजा बनने वाला था बघवा की आंख खुली बघवा नींद से जागा तो देखा चारों और हरे हरे जंगल हरे हरे पेड़ हैं और पशु पक्षी गा रहे हैं अब मैं कहां हूं उसे यह वातावरण बहुत अजीब सा लग रहा था क्योंकि वह समाज में रहता घर परिवार में रहने लगा था। तो उसे उसकी आदत थी अब उसे अचानक जंगल में लाकर छोड़ दिया गया था जंगल के पक्षियों को देखकर खुश हो रहा था लेकिन मन ही मन अफसोस कर रहा था कि मेरी आमना कहां है मेरा वह परिवार कहां है जो दो पैरों से चला करते थे यहां जानवर तो चार पैरों से चला करते हैं यहां कोई मेरे जैसा नहीं दिखता है यहां कोई मेरी बात नहीं सुनता है यहां कोई मुझे नहीं समझता है सब मुझसे डर कर भाग जाते हैं बंदर देख कर मुझे पेड़ पर चढ़ जाते हैं चिड़िया मुझे देखकर जैसे गाने लगती हैं जैसे मैं कोई हैवान हूं वहा सबके बीच में रहने की आदत थी आज मैं इन जंगलों में जानवरों के बीच आ गया हूं मगर मुझे कोई भी अपना सा नहीं लगता है पता नहीं क्यों मुझे लोगों ने क्यों अलग कर दिया मैं शायद इसी लायक हूं क्योंकि मैं बहुत ज्यादा ही उनको अपना मानता था अब समझ में नहीं आ रहा था बड़ा हो चुका था अब बड़ा होकर शेर बन चुका था इतना भयंकर विशाल बाघ की जिसकी आंखें जिसके मुंह पर लंबे-लंबे बाल जिसके शरीर में पीली और काली पट्टियां थी और जो अब इतना जवान और हष्ट पुष्ट हो चुका था कि उसकी ताकत और शक्ति का अंदाजा लगाना भी बहुत मुश्किल हो चुका था इतनी तेज दौड़ की पलक झपकते ही जानवरों का शिकार कर लेता था उसे देख कर सबके रोंगटे खड़े हो जाते थे सब थर्रा जाते थे क्योंकि वह जंगल का राजा है और अब बाघ बन चुका है ऐसा बाघ जिसकी बड़ी-बड़ी खींसे हैं जिसके बड़े-बड़े दांत हैं एक और पंजे देखो तो इतने बड़े-बड़े नाखून की खड़े से ही आदमी का चमड़ा उधेड़ दे आंखे इतनी लाली भरी काली-काली गहरी गहरी लालिमा लिए हुए कि मानो एक तक उनकी आंख में देखें तो हम वही गायब हो जाएं कान सरसराहट को भी महसूस करने वाले और शरीर इतना भारी भरकम की पल भर में कई जानवरों का शिकार कर ले अब आगे...….......आपको मेरी लिखी हुई कहानी पसंद आती है तो आप मेरा उत्साह वर्धन अवश्य करें धन्यवाद।,🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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