Watsap talk


*🌻🌻सुप्रभात*🌻🌻


*"एक खरीदे एक मुफ्त पाएं"*


*ये एक markeating हो सकती है लेकिन वास्तविक जीवन में इसके कई मायने है*


*अगर हम क्रोध खरीदते हैं तो हमें एसिडिटी मुफ्त में मिल जाती हैं*


*अगर हम ईर्ष्या खरीदते हैं, तो सिरदर्द मुफ्त में मिल जाता है* 


*अगर हम नफरत खरीदते हैं तो अल्सर मुफ्त मिल जाता है*


*अगर हम तनाव खरीदते हैं तो रक्तचाप मुफ्त में मिल जाता है*


*ऐसे ही अगर हम बातचीत से विश्वास खरीदते हैं तो दोस्ती मुफ्त में प्राप्त हो जाती है*


*अगर हम व्यायाम खरीदते हैं तो अच्छा स्वास्थ्य मुफ्त में प्राप्त जाता है*


*अगर हम शांति खरिदते हैं तो हमें समृद्धि मुफ्त में प्राप्त हो जाती है*


*अगर हम ईमानदारी खरीदते हैं तो अच्छी नींद मुफ्त में प्राप्त हो जाती है*


*अगर हम प्यार भाव खरीदते हैं तो हमें सभी अच्छे गुणों के साथ ईश्वर की कृपा प्राप्त हो जाती है*


*अब ये हम पर निर्भर करता है कि हमें क्या खरीदना चाहिए*

🌹स्नेह वंदन🌹 

  💐 *स्वस्थ रहें,व्यस्त रहें ,मस्त रहें।* 💐

🌹 🌹🙏🏻🙏🏻


[30/09, 10:01 pm] Sunil Sir: *मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"*


जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में भारतीय *अरबपति रतनजी टाटा* से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा:

"सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली"?


रतनजी टाटा ने कहा:

"मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।"

पहला चरण धन और साधन संचय करना था। 

लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था।


फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया। 

लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।

फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण। वह तब था जब भारत और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था।

मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था। लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.


चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा। 

लगभग 200 बच्चे।

दोस्त के कहने पर मैंने तुरंत व्हीलचेयर खरीद ली।


लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हीलचेयर सौंप दूं। मैं तैयार होकर उसके साथ चल दिया।

वहाँ मैंने इन बच्चों को अपने हाथों से ये व्हील चेयर दी। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हीलचेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।


यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हों।

मुझे अपने अंदर असली खुशी महसूस हुई। जब मैंने छोड़ने का फैसला किया तो बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली।

मैंने धीरे से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को कस कर पकड़ लिया।

मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?

इस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।

इस बच्चे ने कहा:

 

*"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"*


उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि, इस जीवन और संसार और सारी सांसारिक गतिविधियो

को छोड़ने के बाद *आपको किस लिए याद किया जाएगा?*


*क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा जहां यह सब मायने रखता है ?*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

[01/10, 12:29 am] Sunil Sir: कोई अगर आपके रास्ते में गड्डा खोदे तो परेशान मत होना क्योंकि ये वही लोग हैं जो आपको छलांग लगाना सिखाएंगे।

सुप्रभात

​A B C  आती है क्या.....?????अगर आती भी होगी तो ऐसी नहीं आती होगी .....​


​क्योंकि ऎसी आज तक आपको किसी ने नहीं सिखाई होगी ..​🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


🙏A=अम्बे 👣

🙏B=भवानी 👣

🙏C=चामुंडा 👣

🙏D=दुर्गा 👣

🙏E=एकरूपी 👣

🙏F=फरसाधारणी 👣

🙏G=गायत्री 👣

🙏H=हिंगलाज  👣

🙏I=इंद्राणी 👣

🙏J=जगदंबा 👣

🙏K=काली 👣

🙏L=लक्ष्मी 👣

🙏M=महामाया 👣

🙏N=नारायणी 👣

🙏O=ॐकारणी 👣

🙏P=पद्मा👣

🙏Q=कात्यायनी 

🙏R=रत्नप्रिया 👣

🙏S=शीतला 👣

🙏T=त्रिपुरासुंदरी 👣

🙏U=उमा 👣

🙏V=वैष्णवी 👣

🙏W=वराही 👣

🙏Y=यति 👣

🙏Z=ज़य्वाना 👣

🌸🌸🌸🌹🌹🌹

ABCD पढ़ते जाओ ..जय माता दी कहते जाओ ...!!!​

​🚩ये  मेसेज माता रानी के दरबार से चला है इसे आगे भेजो प्लीज कड़ी मत तोड़ना।।


 *जब दिवाली को पूरा एक महीना बाकी रहता है, अमावस से अमावस तक*……


*देव शयनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो गए।*

*अब सृष्टि परेशान मुझे कौन संभालेगा।*

*चार दिन बाद ही आई गुरु पूर्णिमा*

*गुरुदेव चार दिन संभालते हैं।* 

*अगले ही दिन श्रावण लग गया*

*भगवान शिव ने एक महीने संभाल लिया।*

*फिर आया भाद्रपद*

*भगवान कृष्ण जन्माष्टमी आ गई।*

*भाद्रपद के 19 दिन संभाला भगवान कृष्ण ने*


*फिर आई गणेश चतुर्थी*

*दस दिन गणेश जी ने संभाल लिया*। 

*उसके बाद 16 दिन पितृदेवों ने संभाल लिया सृष्टि को।*

*फिर आ गए नवरात्रि*

*मां अम्बे गौरी दुर्गा ने दस दिन संभाल लिया सृष्टि का कार्यभार*

*फिर शुरू हुए दीवाली के 20 दिन*

*मां लक्ष्मी ने संभाल लिया सृष्टि को*


*दीवाली के बाद दस दिन संभाला कुबेर जी ने*

*और फिर आई देव उठनी एकादशी*

*भगवान विष्णु निद्रा से जाग*

*सृष्टि का कार्यभार संभाल लेते हैं*


*हैं ना हमारा सनातन धर्म कमाल*


*नमो नारायण*

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